हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन आलीजनाब मौलाना सैयद ग़ाफ़िर रिज़वी साहब क़िब्ला फ़लक छौलसी ने अशरे के बीच बयान देते हुए फ़रमाया: इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चाहने वालों को यह बात हमेशा याद रहनी चाहिए कि इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम की सब से अधिक मन पसंद चीज़ नमाज़ है, इमाम ने ख़ुद फ़रमाया है कि में नमाज़ को दोस्त रखता हूं ।
मौलाना ग़ाफ़िर रिज़वी ने कहा: यह लॉजिकल बात है कि हम जिस से मुहब्बत करते हैं उसकी हर चीज़ से मुहब्बत हो जाती है यहां तक कि उसकी पसंद और ना पसंद का भी खयाल रखा जाता है । यह कैसे संभव है कि हम इमाम हुसैन की मुहब्बत का दावा करें लेकिन नमाज़ से कोसों दूर हों! हुसैनी होने का साफ़ साफ़ मतलब यह है कि वह पक्का नमाज़ी है! यदि कोई नमाज़ नहीं पढ़ता और ख़ुद को हुसैनी कहता है तो ऐसा व्यक्ति झूठा है क्योंकि वह मुहब्बत की शर्त पर पूरा नहीं उतर पाया !
मौलाना ग़ाफ़िर रिज़वी ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा: यदि हम हुसैनी होने का दावा करते हैं तो हमें यह भी याद रखना होगा कि जिस समय इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को शहीद किया गया उस समय भी इमाम सजदे में थे ।
मौलाना ग़ाफ़िर छौलसी ने अपनी बात का अंत करते हुए कहा: ऐसी आज़ादारी का कोई लाभ नहीं जो बे नमाज़ी को नमाज़ी ना बना सके । इमाम हुसैन ने आशूरा के दिन जंग के मैदान में भी नमाज़ पढ़ी तो ख़ुद को हुसैनी कहने वाला बे नमाज़ी कैसे हो सकता है! यदि नमाज़ को समझना है तो इमाम हुसैन को देख लो एवं यदि इमाम हुसैन को समझना है तो नमाज़ की अहमियत को समझ लो । इमाम हुसैन और नमाज़ एक ही चीज़ के दो नाम हैं ।
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